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Tuesday, June 7, 2022

ईश्वर ही कारण है

 सीता मैय्या की खोज में भगवान राम, घने भयावह जंगलों में रास्ते तय कर रहे थे। इन  रास्तों और जंगलों का ज्ञान सुग्रीव को ही था।  जिस सरलता और सुगमता से सुग्रीव, समूचे दल का मार्गदर्शन कर रहे थे, भगवान राम को आश्चर्य हुआ।

भगवान राम ने आनन्दित होते हुये  सुग्रीव से पूछा 'तुम्हें जंगल के प्रत्येक रास्ते, बगीचे, तालाब, कन्दराओं और गुफाओं के बारे में पूरा ज्ञान है। तुम्हें, जंगल के कोने-कोने का ज्ञान किस तरह है'?

यह सुनकर सुग्रीव ने कृतज्ञ भाव से उत्तर दिया 'भगवन यह आपके आशीर्वाद के कारण ही सम्भव हो पाया'। जब बाली मुझे ढूँढ रहे थे तो मैं अपनी  जान बचाने के लिये पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा रहा था। पगडंडी से रास्ते, रास्ते से कंदराओं और कंदराओं से गुफाओं में छुपता घूम रहा था, पोखरों और तालाबों से पानी पीता, बागीचों से फल खाता भटकता रहता। इसी तरह इन स्थानों का ज्ञान मुझे हुआ। 

भगवन, उस समय तक मुझे यह लगता था कि मैं अपनी जान बचाने के लिये भाग रहा हूँ किन्तु आज मुझे सत्य मालूम पड़ा कि मेरा इस प्रकार से भटकना तो अभ्यास था, जिसका सदुपयोग आगे चल कर आपकी सेवा में होना था।  अभ्यास और सेवा, दोनों ही आपके आशिर्वाद से सम्भव हो पाया है। 

इस ज्ञान का कारण तो आप ही हैं भगवन। मैं तो कृतार्थ हूँ कि आपने मुझे अपनी सेवा का सुवसर प्रदान किया

जय सियाराम

साभार: संत दिव्य सागर जी के वीडियो से


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Chandar Meher

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