आज के मेहेर सत्संग में राखी दीदी ने यह बहुत अच्छी कहानी सुनाई-
एक नगर सेठ को सत्संग में जाने का अवसर मिला। वहाँ उन्होंने सुना
कि कम-से-कम सुबह-शाम तो ईश्वर का नाम अवश्य लेना चाहिये ताकि उद्धार हो सके। सेठ
जी सोचने लगे कि मैं तो पूरे दिन व्यस्त रहता हूँ, मेरे पास ईश्वर का नाम लेने का समय ही नहीं है, मेरा
उद्धार कैसे होगा ?
एक रोज़ सेठजी ने सुना कि नगर के बाहर बहुत पँहुचे हुये सूफी संत
आये हुये हैं।
सेठ जी ने सोचा कि मेरे इस प्रश्न का जवाब इन सन्त के पास अवश्य
होगा। मुझे इन सन्त के दर्शन अवश्य करने चाहिये।
सेठ जी, सन्त के पास
गये, प्रणाम किया और अपना प्रश्न उनके समक्ष रखा कि मैं पूरा
दिन व्यस्त रहता हूँ, कृपया बतायें कि ईश्वर को याद करने का
समय कैसे निकालूँ ताकि मेरा उद्धार हो सके।
सन्त मुस्कुराये और उन्होंने उत्तर दिया कि जब स्नान और
नित्यक्रिया करते हो तब तो समय मिलता ही होगा, उस समय ईश्वर का नाम लिया करो। सन्त का उत्तर सुनकर सेठजी खुश हो गये। घर
आ कर उन्होंने सन्त के बताये अनुसार प्रतिदिन ईश्वर का नाम लेने का अभ्यास
प्रारम्भ कर दिया।
इस बात को कई वर्ष बीत गये। बच्चे बड़े और सेठजी वृद्ध हो गये। सेठ
जी का ईश्वर का नाम लेने का अभ्यास स्नान और नित्यक्रिया के समय पर निरन्तर चलता
रहा। फिर एक दिन सेठ जी की तबियत बहुत खराब जो गई वे बेहोश हो गये। बच्चे घबरा गये।
ईश्वर कृपा हुई, इसी बीच बच्चों ने सुना
कि वही सन्त एक बार फिर नगर के बाहर आ कर ठहरे हुये हैं। वे दौड़े-दौड़े सन्त के पास
पहुँचे, प्रणाम किया और पूरी बात कह सुनाई। सन्त फिर
मुस्कुराये और बोले मुझे सेठ जी के पास ले चलो।
सेठ जी के घर पहुँच कर जब सन्त ने सेठ जी को देखा तो बच्चों से कहा
कि एक बाल्टी गुनगुना पानी ले आओ, बच्चों
ने ऐसा ही किया। बच्चों की सहायता से सेठ जी को बैठाया और उनके ऊपर पानी डालना
प्रारम्भ किया।
जैसे ही सेठ जी के ऊपर पानी पड़ा तो सेठ जी को कुछ होश आया और
उन्हें लगा कि वे स्नान कर रहे हैं, सो पुराना अभ्यास जागृत हो गया और उन्होंने उसी समय ईश्वर का नाम लेना
प्रारम्भ कर दिया। नाम लेते ही लेते उन्होंने प्राण त्याग दिये। अब सन्त ने बच्चों
को बताया कि तुम्हारे पिता का उद्धार हो गया, वे मुक्त हो
गये।
प्रियतम मेहरबाबा ने बताया है कि अंतिम साँस सबसे कीमती होती है, इस समय जो भी ईश्वर का नाम लेता हो उसे मोक्ष
प्राप्त होता है, किन्तु ऐसा करना सरल नहीं होता है। इसका
अभ्यास अभी से करना चाहिये और हर साँस में मेरा नाम लेना चाहिये,
जय प्रियतम अवतार मेहेरबाबा
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Chandar Meher