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Saturday, February 20, 2021

ईश्वर के नाम की महिमा

भारत में यह प्रथा है कि बच्चों का नाम शास्त्र आधारितभगवानदेवी देवताओं के नाम पर रखा जाता हैजैसे रामकृष्णशंकरमेहेरशिवलक्ष्मी सरस्वतीअम्बा और दुर्गा। नाम के पहले भगवान का नाम जोड़ने की प्रथा भी है जैसे रामप्रसादरामप्रकाश,कृष्णप्रसाद,कृष्णकुमार, शिवप्रकाशशंकरप्रसादमेहेरप्रसाद । 

इस्लाम धर्म को मानने वाले धर्मावलंबी भी नाम के पूर्व मोहम्मद अवश्य लिखते हैं। अवतार मेहेर बाबा प्रेमी भी अपने नाम के पूर्व मेहेर लिखते हैं।
सम्भवतः ऐसा इसलिये किया जाता है कि प्रतिदिन जितने भी बार बच्चों का नाम पुकारा जाये उतनी बार मुख से भगवान का नाम भी उच्चारित हो जो कि अत्यंत शुभ और हितकर होता है।
प्रियतम अवतार मेहेरबाबा ने आशिर्वाद देते हुये बताया है कि मनुष्य जीवन की अंतिम श्नवास सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है इस पल में पूरे मनोभाव से मनुष्यईश्वर से जो भी माँगता है उसे वह मिलता हैफिर चाहे वह माया माँगेचाहे ईश्वर। किन्तु इस पल में भगवान को याद करना सरल नहीं हैइसका अभ्यासजीवनपर्यंतप्रत्येक श्वांस में ईश्वर का नाम लेते हुये करना होता है। जैसेजब श्वांस अंदर लें तो बोलें 'बाजब श्वांस छोड़ें तो बोलें 'बा'। इस तरह से निरंतर बाबा का नाम लेने का अभ्यास करना चाहिये जिसका लाभ स्वर्णिम श्वांस में पूरे मनोयोग से भगवान का नाम लेने में मिलेगा।
परमपूज्य सन्त अवधेशानन्द गिरी जी ने अपने प्रवचन में ईश्वर प्राप्ति का कारणअजामिल द्वारा अपने बेटे का नाम नारायण नारायण पुकारना बताया। वे अपने अंतिम समय में अपने पुत्र को पुकार रहे थे किन्तु पुत्र को बुलाते बुलाते अजामिल के भाव नारायण से जुड़ गये।
महाराज दशरथ ने भी अपने पुत्र राम को पुकारा किंतु भाव पुत्र के प्रति होने के कारण उन्हें स्वर्ग मिलाएक बार जब भगवान राम ने अपने पिता को स्वर्ग में देखा तो उन्हें अपने धाम बुला लिया।

मानस जी  कहती हैं

कलयुग केवल नाम अधारा

सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा

जय सियाराम !!!!

जय प्रियतम अवतारमेहेर बाबा !!!!

जय प्रियतम अवतार मेहेरबाबा !!!!

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Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher

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