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श्रीरामचरितमानस के अयोध्या कांड में वर्णन है कि भगवान श्रीरामचंद्रजी, सीतामाता और लक्ष्मण जी ने चित्रकूट में रहना प्रारम्भ किया।
यहाँ आपके दर्शन करने के लिये वन में रहने वाले भील और कोल आये तथा भगवान से सेवा करने का उन्होंने आग्रह किया तब भगवान ने अपने प्रेम से वनवासियों को संतुष्ट किया।
इसी प्रसंग से निम्नलिखित सुंदर पंक्तियाँ हैं जिनके अनुसार भगवान राम को केवल प्रेम प्यारा है।
*चौपाई:*
रामहि केवल प्रेमु पियारा।
जानि लेउ जो जान निहारा।।
राम सकल बनचर तब तोषे।
कही मृदु वचन प्रेम परिपोषे।।
*अर्थात:*
श्री रामचंद्र भगवान को केवल प्रेम ही प्यारा है जो जानने वाला हो (जानना चाहता हो) वह जान ले। तब श्रीरामचंद्रजी ने प्रेम से परिपुष्ट हुए (प्रेमपूर्ण) कोमल वचन कहकर उन सब वन में विचरण करने वाले लोगों को संतुष्ट किया।
जय सियाराम जय मेहेरामेहेर सदा
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Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher