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Wednesday, September 9, 2009

कहानी दो: मुर्गा और बुल (बैल)

कथा एक के कौये से इस कहानी का नायक मुर्गा भी प्रेरित हो गया. इस मुर्गे ने भी मन ही मन तय किया कि वह कौए की तरह ही पेड़ की फुनगी पर जा कर बैठेगा. और अब बाँग देगा तो सिर्फ वहीं से.

उसने कूद लगायी तो पहली शाखा तक भी नहीं पहुँच सका। बेचारा मुर्गा निराश हो गया। व्हीं से एक बुल (बैल) गुज़र रहा था वह इस घटना को देख रहा था. उससए मुर्गे को उदास बैठे देख रहा नहीं गया. उसने मुर्गे को सुझाया कि यदि मुर्गा उसका (बुल का) शिट (गोबर) खा ले तो उसे इतनी शक्ति मिल जायेगी कि वह पेड़ पर चढ़ सकेगा।  
मुर्गे ने ऐसा ही किया और वह कूद अर पहली शाखा पर जा बैठा। पर वह और ऊपर नहीं जा पा रहा था. इस पर बुल ने फिर कहा कि तुम पर्याप्त मात्रा में “शिट” खाओ तो ऊपर फुनगी तक पहुँच जाओगे. मुर्गे ने एसा ही किया और फुनगी पर जा बैठा. जैसे ही मुर्गा फुनगी पर पहुँचा उसने ज़ोर से बाँग दी. पास से ही एक शिकारी निकल रहा था उसने मुर्गे को देख्ते ही गोली दागी और मुर्गे को मार गिराया.
क्रमश........ बाकी हिस्सा कहानी तीन में..... 
मैनेजमेंट सीख 2 : बुल-शिट खा कर आप शीर्ष पर तो पहुँच सकते हैं पर वहाँ बने नहीं रह सकते हैं। इसके लिये अपने आप में दम चाहिये.

1 comment:

Your welcome on this post...
Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher

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