प्रसंग:1
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बालकाण्ड के दोहों में दिया है कि महाराज जनक, भगवान राम के चरण पखार रहे हैं।
यहीं यह लिखा भगवान के नाम के स्मरण से कलयुग के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं।
*जय बाबा जय जिनेन्द्र, जय मेहेरामेहेर सदा*
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प्रसंग: 2
भगवान राम और लक्ष्मण जी को लेकर गुरु वशिष्ठ जी जनकपुरी के महल में आदरपूर्वक ठहरा दिये गये हैं, महाराजा जनक , अतिथियों का स्वागत कर वापस जा चुके हैं। अब भगवान राम, लक्ष्मण जी के मन को पढ़ लिया और उन्होंने गुरु वशिष्ठ से अनुमति माँगते हुये कहा कि लक्ष्मण जी जनकपुरी भ्रमण करना चाहते हैं।
गुरु वशिष्ठ भगवान राम को प्रेमवश वचन कहते हैं कि हे राम! तुम नीति की रक्षा कैसे नहीं करोगे,
हे तात्, तुम तो धर्म की मर्यादा का पालन करने वाले हो, तुम प्रेम के वशीभूत हो कर सेवकों को सुख देने वाले हो।
*जय सियाराम सदा*
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Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher