कई प्रकार की
वनस्पितियाँ हैं, अलग अलग आकार, प्रकार और रंग
की किन्तु मूलतः हैं सब वनस्पति ।
कई प्रकार के जंतु हैं, रेंगने
वाले,फुदकने वाले, चलने वाले, दौड़ने वाले, उड़ने वाले, तैरने
वाले, शाकाहारी, माँसाहारी अलग अलग रंग
आकार, प्रकार और बोली बोलने वाले किन्तु मूलतः हैं सभी जंतु ।
इसी तरह कई प्रकार के
मनुष्य हैं,
अलग अलग रंग-रूप के, अलग- अलग आकार-प्रकार के,
धरती के अलग-अलग भागों में रहने वाले, अलग-अलग
भाषायें और बोली बोलने वाले, अलग-अलग सोच समझ वाले, अलग -अलग धर्म, पंथ और सम्प्रदाय को मानने वाले,
कुछ भोगी तो कुछ योगी, कुछ धनवान तो कुछ गरीब,
कुछ बलवान तो कुछ बलहीन, किन्तु मूलतः हैं सभी
मनुष्य।
धरा पर अलग अलग प्रकार
का जीवन है जैसे वनस्पति, जन्तु और मनुष्य किन्तु मूलतः हैं सभी जीव और भीतर
वही एक जीवात्मा है ।
हालाँकि धरती पर
विद्यमान वस्तुओं को निर्जीव और सजीव की श्रेणी में विभक्त किया जाता है किंतु
आध्यात्मिक विचार है निर्जीव कुछ भी नहीं बल्कि सब सजीव है।
अनेक से एक की यात्रा
ही ईश्वर प्राप्ति का साधन है।
सादर
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Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher