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Friday, June 19, 2015

मैनेजमैंट स्टोरी: घोड़ा और बकरा

 एक किसान का घोड़ा बीमार हो गया. वह उठ भी नहीं पा रहा था. किसान ने डॉक्टर बुलाया और घोड़े को दिखाया. डॉक्टर ने दवाई देते हुये कहा कि यह दवाई अगले तीन दिन तक घोड़े को खिलाईये देखते हैं इसे कितना फायदा होता है. अगर फायदा नहीं होता है तो फिर इसे मारना ही होगा नहीं तो इसका संक्रमण दूसरे जानवरों में फैल जायेगा.
पास ही खड़े किसान के बकरे को यह बात सुनकर बहुत बुरा लगा. उसने भावुक हो कर घोड़े को समझाया कि घोड़े को खड़ा होना ही होगा नहीं तो उसे मार दिया जायेगा किंतु घोड़ा टस से मस नहीं हुआ. दूसरे दिन बकरे ने घोड़े को और ज़ोर दे कर समझाने की कोशिश की किंतु बकरा फिर भी असफल रहा.  दूसरा दिन गुज़रा और फिर तीसरा दिन भी आ गया. डॉक्टर आया. डॉक्टर को आता देख बकरे ने घोड़े से कहा कि भाई देखो अब तुम्हारे पास करो या मरो कि स्थिति है. खड़े हो जाओ...... दौड़ लगाओ......  नहीं तो यह डॉक्टर तुम्हें मार डालेगा. उठो............. इतना सुनना था कि घोड़ा दम लगा कर उठ खड़ा हुआ ....... बकरा फिर चिल्लाया ..... भागो........ इतना सुनना था कि घोड़ा दौड़ने लगा.... फिर हवा से बातें करने लगा.......
यह देख कर किसान खुशी से चिल्ला उठा और दौड़ा-दौड़ा अपनी पत्नी के पास गया और बोला ..... वाह् ... अपना घोड़ा ठीक हो गया है ..... वह दौड़ रहा है ..... मज़ा आ गया ... चलो दावत करते हैं .... बकरा लाओ .... आज बकरा बनाओ....
शिक्षा: अक्सर मैनेजमैंट को पता नहीं होता है कि ओफिस में काम कौन कर रहा है. सबसे पहले काम करने वाले का ही काम तमाम होता है.     
मैनेजमैंट स्टोरी: घोड़ा और बकरा
कथा स्त्रोत: व्हॉटस्-अप 

2 comments:

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Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher

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