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Sunday, May 8, 2011

सम्पूर्ण समर्पण से कम कुछ भी नहीं


द्रौपदी अपने सभी सगे सम्बन्धियों से निराश हो चुकी थीं कोई भी उनकी मदद को आगे नहीं आ रहा था. धृटराष्ट्र और भीष्मपितामह  जैसे आदरणीय पुरुष भी नहीं. सभी के पास अपने अपने कारण थे. बेबस द्रौपदी क्या करती. उसके पास अब सिर्फ एक ही सहारा रह गया था. अपने भाई कृष्ण का सहारा. द्रौपदी ने कातर भाव से कृष्ण को पुकाराना प्रारम्भ किया. एक हाथ में वस्त्र और भरसक विरोध और दूसरा कृष्ण की आस में उठा. पर कृष्ण भी नहीं आये. द्रौपदी का मन रो रहा था क्या कृष्ण भी मेरी मदद को नहीं आयेंगे. वे तो मुक्त हैं किसी बात से बँधे नहीं हैं. फिर वे मेरी मदद को क्यों नहीं आते. अब तो द्रौपदी को अपने द्वारा प्रस्तुत विरोध भी विफल होता दिखने लगा था. उनके पास और बल न था. वह क्या करतीं रो पड़ीं ज़ोर ज़ोर से कृष्ण कृष्ण के टेर लगाती जातीं. सारी सभा स्तब्ध. चारों ओर सन्नाटा. सन्नाटे को चीरता सिर्फ एक नाम कृष्ण.....कृष्ण....कृष्ण.....तीव्र से तीव्रतम....कातर से कातरतम होती आवाज़ ...द्रौपदी को कहीं पीछे छोड़ती हुई.....फिर द्रौपदी का विरोध स्माप्त. वह पूर्णत: शक्तिहीन. कृष्ण में सम्पूर्ण लीन. अब द्रौपदी समाप्त,  सिर्फ कृष्ण.....क़ृष्ण और क़ृष्ण चारो ओर सिर्फ भगवान कृष्ण. यह क्या अचानक चीर बढ़ने लगा. दु:षासन चकित हो उठा. कुछ समझ न सका. कुछ देर बाद वह थक कर चूर हो गया.
भगवान कृष्ण प्रकट हुये! तब द्रौपदी ने पूछा-हे कृष्ण आप ने आने में इतनी देर क्यों कर दी ? आप मेरी परीक्षा क्यों ले रहे थे ? भगवान ने कहा हे द्रौपदी आरम्भ में, तुम अपने बल का उपयोग कर रही थी. मुझसे अधिक तुम्हें अपने बल पर भरोसा था इस कारण तुम मुझे अधूरे मन से बुला रही थी. पर जैसे ही सम्पूर्ण रूप से समर्पित हो कर तुमने मुझे बुलाया मैं दौड़ा चला आया.
अवतार मेहेर बाबा प्रेमियों से कहते हैं की सम्पूर्ण समर्पण से कम मुझे कुछ भी स्वीकार्य नहीं है.
अवतार मेहेर बाबा जी की जय !!!       

2 comments:

  1. ♥अब द्रौपदी समाप्त, सिर्फ कृष्ण.....क़ृष्ण और क़ृष्ण चारो ओर सिर्फ भगवान कृष्ण. ♥
    ये ही तो पर आज कौन समझता है इन्हें , कुछ गिने छूने लोगो में ही बचिहाई अब समर्पण भावना जैसे अभी अन्ना जी को देख लीजिये उन्हें कुछ याद नहीं न अपनी न गैरों कि उन्हें तो बस देश प्रेम देश भक्ति कि याद है
    सम्पूर्ण समर्पण , बहुत सुन्दर भाव

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    1. शुक्रिया अमरन्द्र भाई साहब...

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Your welcome on this post...
Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher

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