शादी के अवसर पर बड़ा जोश -ओ-खरोश का माहौल था. एक बिल्ली थी की मानने का नाम ही नहीं ले रही थी. मौका पा कर बार-बार दूध-दही की ओर लपक रही थी. परेशान हो कर घर के ही एक ज़िम्मेदार सदस्य ने बिल्ली को पकड़ कर उसके चारों पैर बाँध दिये. शादी धूम धाम से सम्पन्न हुई. बाद में इस बिल्ली के भी हाथ पाँव खोल कर रिहा कर दिया गया.
घर की दूसरी शादी के दौरान जैसे ही पंडित जी ने मंत्र पढ़ने शुरू किये घर के एक सदस्य ने ज़ोर की आवाज़ लगा कर पंडित को रोका. कहा कि हमारे खानदान की अभी एक अहम रस्म तो हुई ही नहीं फिर शादी के मंत्र कैसे पढ़े जाने लगे. पंडित जी ने हैरानी से पूछा कौन सी रस्म ? इस सदस्य ने जवाब दिया बिल्ली के पाँव बाँधने की.
रस्म तो रस्म थी. बिल्ली की ढुँढाई शुरू हुई. घर में तो कोई बिल्ली थी नहीं. क़िसी ने बताया कि मुहल्ले के शर्मा जी ने बिल्ली पाल रखी है. लिहाज़ा शर्मा जी की बिल्ली को लाया गया उससके हाथ पाँव बाँधे गये फिर शादी खुशी खुशी सम्पन्न हुई.
इसके बाद घर में जितनी भी शादीयाँ हुईं, घर के बुज़ुर्गों ने एहतियात बरतते हुए पहले से ही बिल्ली का इंतज़ाम किया.
सीख: रस्मों को निभाना अच्छी बात. उसे सोच समझ कर निभाना और भी अच्छी बात, है ना !!!
chandarji bahut se rasmon rivaaz isi tarah shuru hokar samaj ka ang ban gaye, aur nibhane
ReplyDeleteki parampara ban gayi | aapne sahi likha hai
aapko meri kavita (BAAL DIWAS )pasand aayi to
mai iske liye aabhaari hoon , aap agar mere naam se is kavita ka kahin jikra karna chahte hain to jaroor kijiye , blag jagat to ek parivaar hai |
main roman hindi likhane ke liye maafi chahta hoon ,mere blag ka hindi likhane wala font theek se kaam nahi kar raha hai |
aasha hai aap aage bhi mera hausala badhane mere blag par aate rahenge
All teh best Ajay Ji. I will be a visitor to you blog.
ReplyDeleteBest Wishes
Yours
Chandar Meher