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Friday, September 25, 2009

आहार और मन


कुछ दिनों पहले आँधी आने के कारण लाईट चली गयी. रात हो चली थी सो घर से बाहर,  कॉलोनी में निकल कर व्यवस्था का अवलोकन  करने निकल पड़े. जहाँ मिश्रा जी से मुलकात हो गई. 
मिश्रा जी एक रामायणी व्यक्ति हैं. बातों ही बातो में हम उनसे पूछ बैठे कि क्या रामायण में इस बात का कुछ उल्लेख है कि किस प्रकार का भोजन किया जाना चाहिये और किस प्रकार का भोजन नहीं किया जाना चाहिये. इस प्रश्न के जवब में आपने यह रोचक कथा सुनाई-
जैसे  ही राम भगवान के वनवास के बारे में भरत ने सुना वैसे ही वे वन की ओर अपने भाई वापस लाने के लिये निकल पड़े. उनके साथ चतुरंगिणी सेना भी थी. 
सेना को दूर से आते देख कर एक केवट ने युद्ध की आशंका व्यक्त की और सभी को इस बारे मे सचेत करते हुये तैयार रहने के लिये कहा. 
किंतु निषाद राज धैर्यवान थे. उन्होंने सभी लोगों को धीरज बँधाते हुये कहा की पहले इस बात की जाँच कर लेनी चाहिये कि भरत किस मंतव्य से इस ओर आ रहे हैं. 
निषाद राज ने दो प्रकार के भोजन- माँसाहार तथा मदिरा जैसा तामसिक भोजन तथा दूसरी ओर पवित्र शाकाहार (सात्विक) आहार भरत के पास भेजा. भरत ने शाकाहार स्वीकार किया. इस बारे मे हरकारे ने लौट कर बताया. 
इस संकेत को पढ़ते ही निषाद राज समझ गये और उन्होंने सभी लोगों के सामने स्पष्ट किया कि भरत यहाँ युद्ध करने नहीं आ रहे हैं. 
और हुआ भी ऐसा ही. वे तो भातृ प्रेम मे खिंचे चले आ रहे थे. आते ही भरत ने भगवान राम के चरणों को अश्रुओं से भिगो दिया. 
निषाद राज ने मन पढ़ने हेतु आहार के महत्व को समझा इन दोनों के आपसी सम्बन्धों को समझा. यह कथा आहार की प्रकृति का मन पर प्रभाव को स्प्ष्ट करती है. 
अतः अपने दैनिक आहार की प्रकृति को ले कर सजग रहना बहुत आवश्यक है.

4 comments:

  1. यह प्रसंग अच्छा संदेश देता है

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  2. Thank You Vijay Prakash Ji. You are always Welcome. Very Happy Diwali to You...

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  3. निषाद राज ने मन पढ़ने हेतु आहार के महत्व को समझा इन दोनों के आपसी सम्बन्धों को समझा. यह कथा आहार की प्रकृति का मन पर प्रभाव को स्प्ष्ट करती है.

    sahi kaha aapne ....satvik aahar manusya ko hinsak hone se bchata hai .....!!

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  4. बहुत बहुत शुक्रिया हरकीरत बहन समय निकाल कर इस पोस्त को पढ़ने के लिये. एक छोटा सा प्रयास किया है प्याज़ और लहसुन के बगैर खाना खाने का. लगता है असर होता है... और कोइ ज़रिया भी नहीं था इस असर को जानने का... प्लीज़ ब्लोग पर यूँ ही पहधारते रहियेगा... दीपावली बहु बहुत मुबरक हो आप सभी को..
    सादर सस्नेह..
    चन्दर मेहेर

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Your welcome on this post...
Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher

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