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Friday, July 10, 2009

मौन और ईश्वर

अवतार मेहेर बाबा ने सन 1925 में, 29 वर्ष की अवस्था में 10 जुलाई से मौन प्रारम्भ् किया था जो सदैव अखंड रहा. बाबा कहते हैं कि वाणी संयम (मौन), मन पर सयंम कायम करना सिखाती है. मन पर सयंम, क्रिया (कार्य / कर्म) संयम का रास्ता दिखाती है. क्रिया अथ्वा कर्म संयम हमें अपने आप को पाने का, जीतने का रास्ता प्रदर्शित करता है. अपने आप पर जीत हासिल करने से ही हमें ईश्वरानुभूती (आत्म तत्व की प्रप्ति) होती है. हाँलाकि समस्त इन्द्रिय़ों से किया गया मौन बेहतर हो सकता है किंतु वाणी सयंम इस मौन को प्रारम्भ करने के लिये प्रथम सीढ़ी का कार्य कर सकती है. प्रति दिन सुविधा अनुसार सुबह या शाम को पूजा के उपरांत पाँच मिनट के लिये मौन का लाभ लिया जा सकता है. ईश्वर प्रप्ति का यह शायद सबसे सरल तथा सुगम रास्ता है. बाबा प्रेमी 10 जुलाई को मौन रख कर बाबा को याद करते हैं तथा प्रार्थना करते हैं.

2 comments:

Your welcome on this post...
Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher

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