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Saturday, August 16, 2014

नसीहत

सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त शर्माजी का लड़का अपनी पत्नी और दुधमुँहे बच्चे को ले कर घर छोड़ कर जा रहा था. शर्माजी ने अपने लड़के को मनाने की बहुत कोशिश की पर लड़के ने एक ना सुनी. पिता ने अपने प्यार का वास्ता देते हुये कहा ‘बेटा मैंने और तुम्हारी माँ ने कितने लाड़ प्यार से तुम्हें पाल, अच्छी से अच्छी शिक्षा दीक्षा दिलवाई, जो तुम ने माँगा वह हमने तुम्हें लाकर दिया यहाँ तक अपनी इच्छओं को भी दरकिनार कर दिया.और आज तुम हमें ही छोड़ कर जा रहे हो? क्या यही संस्कार हमने तुम्हें दिये थे ? क्या हमने तुम्हें यही सिखाया था’ ?
पिताजी आपने अपने परिवार का पालन पोषण बहुत अच्छे से किया, पूरी ज़िम्मेदारी अखूबी निभाई और यही मैंने आपसे सीखा. पर आपने यह तो कभी सिखाया ही नहीं कि पिछली पीढ़ी की जिम्मेदारी भी मेरी ही है. मैं ने ऐसा कुछ करते तो आपको कभी देखा ही नहीं. जो मंने कभी सीखा ही नहीं उसे बात की अपेक्षा आप मुझसे कैसे कर रहे हैं? यह सुन कर पिता अवाक् रह गये.
माँ बोली बेटा तुम्हारी बात तो सही है. तुम्हारी परवरिश में हम से चूक तो हुई है पर यह चूक हम और नहीं करना चाहते इसलिये बस एक अंतिम नसीहत सुनते जाओ बेटा. तुम अपने बच्चे की परवरिश में यह चूक न करना जो हमसे हो गई, क्योंकि न जाने इस दर्द को तुम झेल पाओ या नहीं.  

2 comments:

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Jai Baba to You
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Chandar Meher

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