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Monday, August 27, 2012

सार्थक संवाद तो मौन में होता है




उन दिनों, पापा के बहुत अच्छे मित्र जे.एस. राठौर अंकल, अवधेश प्रताप  सिंह विश्ववविद्यालय, रीवा (म. प्र.)  में भौतिक विज्ञान के प्रोफैसर, वाईस चांसलर थे। शासकीय कार्य के लिए उन्हें अक्सर रीवा से भोपाल आना जाना पड़ता था। वे यह रास्ता ज़्यादातर कार से ही तय करते थे । कभी कभी आदरणीय आँटी भी साथ हुआ करती थीं। जब भी वे भोपाल जाते तो जबलपुर, पापा से मिलने  के बाद ही आगे की यात्रा करते।

ऐसी ही एक यात्रा के दौरान आदरणीय अंकल, पापा से मिलने आये। पापा ने बताया था की आदरणीय अंकल परम विद्वान हैं और प्रियतम बाबा के अनन्य प्रेमी हैं। पापा की इस बात को ध्यान में रखकर, मौका देखकर हमने उनसे अपने मन में उठ रहा प्रश्न पूछा कि यदि प्रियतम बाबा ने मौन नहीं रखा होता और बोलते होते तो हम सबको उन्हें समझना कितना आसान होता। फिर बाबा ने मौन क्यों रखा। प्रश्न सुनकर आदरणीय राठौर मुस्कुरा उठे और उन्होंने कहा कि कहने के लिये प्रत्यक्ष संवाद की आवश्यकता नहीं होती’। उन्होंने आगे कहा कि एक बार एक बाबा प्रेमी ने भी यही प्रश्न किया था,

  और फिर यह घटना सुनाई :

एक बार प्रियतम मेहेर बाबा अपने मंडलीजन के साथ बैठे हुए थे तभी प्रियतम बाबा पूछा कि - जब दो लोग बहस करते हैं तो अपनी आवाज़ ऊँची कर के चिल्लाने क्यों लगते हैं जबकि वे एक दूसरे के पास ही होते हैं’?

सभी ने अपनी सोच और समझ  के अनुसार उत्तर देने की कोशिश की. मंडलीजन में एक डॉक्टर भी थे उन्होंने कहा कि ‘ऐड्रिनिलीनके स्त्राव होने के कारण ही इन्सान क्रोधित होने पर चिल्लाने लगता है’.
प्रियतम बाबा ने सबके उत्तर सुने फिर बोले कि सभी लोगों ने किसी हद तक सही कारण बताये हैं.
फिर प्रियतम बाबा ने आगे समझाया कि हालाँकि बहस करते समय दो लोग होते तो पास-पास ही होते  हैं पर फिर भी उनके दिल एक दूसरे से कोसों दूर हो जाते हैं।  यह दोनों चाहते हैं के वे अपनी बात एक दूसरे से कह सकें और समझा पायें किन्तु दिलों की दूरी के कारण ऐसा कर नहीं पाते हैं । इसी वजह से वह आवाज़ ऊँची कर अपनी बात अगले व्यक्ति तक पहुँचाने की कोशिश करते हैं । 

प्रियतम बाबा ने मंडली जन से आगे पूछा की ‘क्या कभी किसी नये -नवेले जोड़े को समुद्र के किनारे टहलते हुए देखा है?' सभी ने कहा ‘जी बाबा

बाबा ने फिर पूछा की ‘वे उस समय क्या कर रहे होते हैं।  एक मंडली जन ने उत्तर दिया इस समय वे ढेर सारी बात करते हैं बाबा ।  

प्रियतम बाबा ने फ़िर कहा कुछ दिनों के बाद देखोगे तो पाओगे कि किसी शाम, यह जोड़ा एक दूसरे का हाथ थाम कर,  समुद्र किनारे एकदम चुपचाप टहल रहा है. वह आपस में बिल्कुल भी बात नही कर रहा हैं । सभी मंडली जन ने प्रियतम बाबा की इस बात पर अपनी सहमति प्रकट की ।
तब बाबा ने पूछा ‘क्या तुम सब को लगता है की यह जोड़ा सचमुच खामोश हैबिल्कुल बात नहीं कर रहा  है ?'
प्रियतम बाबा ने आगे समझाया कि वास्तव में सबसे सार्थक और तीव्रता से संवाद तो अब हो रहा है ।  सर्वाधिक सार्थक संवाद और सत्य का आदान प्रदान तो ह्रदयों के बीच होता है ।  सार्थक संवाद तरंगों के स्तर परहमेशा मौनावस्था में महसूस किया जाता है, जब दिल करीब होते हैंएक हो जाते हैं ।  प्रियतम बाबा ने आगे समझाया  की ‘सत्य का आदान प्रदान सर्वथा मौन में होता है’ (Things of substance are always exchanged in silence.) ।  इस कहानी को सुनाने के बाद आदरणीय राठौर अंकल फिर मुस्कुरा उठे ।
 

प्रेमावतार मेहरे बाबा की जय, मौनावतार मेहेर बाबा की जय  !!!

प्रेमावतार मेहरे बाबा की जय, मौनावतार मेहेर बाबा की जय  !!!

9 comments:

  1. सही बात है, संवाद को शब्‍द कहां चाहि‍ए

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  2. very nice post, thank you for sharing

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  3. शुक्रिया प्रिय मंगल 💐💐

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  4. Thank You Respected Sudipta Ji, May Beloved Avatar Meher Baba Bless You Always, Jai Baba Always 💐💐

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  5. 10th oh July is Silence Day, when Baba started lifelong Silence in 1925 at the age of 29.
    Baba Lovers all over the world observe silence of 24 hours on this day. Jai Baba 💐💐

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Your welcome on this post...
Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher

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