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Wednesday, December 16, 2009

क्रिसमस दिल से मुबारक हो


तीन युवा पेड़, आपस में दोस्त, एक जंगल में रहा करते थे. बहुत खुश अपने में मग्न. एक दिन एक पेड़ ने बाकी दोनों से पूछा कि तुम दोनों के क्या सपने हैं? पहले ने कहा कि मेरा सपना है कि जब मुझे काटा जाये तो मुझसे एक खजाने का बक्स बनाया जाय जिसमें शहंशाओं, बादशाहों,रानी महारानीओं के बेशकीमती हीरे जवाहारात रखे जायें, दूसरे पेड़ से यही प्रश्न पूछने पर उसने कहा कि मेरा सपना है कि जब मुझे काटा जाये तो मुझसे के एक बड़ा सा जहाज़ बनाया जाय जिसमें मैं शहंशाओं, बादशाहों,रानी महारानीओं को दूर दूर की सैर कराऊँ.

तीसरे पेड़ से पूछने पर उसने जवाब दिया कि मैं चाहता हूं के मुझे काटा न जाये. मैं लम्बा और् लम्बा होता जाऊँ, उसने इशारा करते हुये बाकी दोनों पेड़ों को दिखाते हुए कहा कि वो पहाड़ देख रहे हो, मैं चाहता हूँ कि उस पहाड़ पर लोग खड़े हो कर बोलें कि देखो वो पेड़ कितना ऊँचा है वह ईश्वर के कितने करीब है.

कई वर्ष बीत गये के दिन लकड़्हारों की एक टोली आई उन्होंने पहले पेड़ का चुनाव किया, जैसे ही उन्हों ने कुल्हाड़ी निकाली उसने बाकी दोनों दोस्तों से विदा लेते हुये कहा कि लगता है भगवान ने मेरी आवाज़ सुन ली है अब वो दिन आ गया है जब मेरा सपना सच होगा. अलविदा दोस्तों.
पहले पेड़ से अस्तबल में घोड़े के लिये चारा चरने के लिये फीडिंग स्टॉल बनाया गया जिसमें दिन भर घोड़े चारा खाते थे और जूठा करते थे. यह फीडिंग स्टॉल बना पेड़ बहुत दुखी हुआ उसने हाथ उठा कर कहा कि हे ईश्वर मैनें आप से क्या माँगा था और आपने मुझे क्या दिया, मैं तो चाहता था कि आप मुझे एक खजाने का बक्स बनायें, जिसमें शहंशाओं, बादशाहों,रानी महारानीओं के बेशकीमती हीरे जवाहारात रखे जायें,  और आपने मुझे यह क्या बना दिया. वह बहुत दुखी हुआ.
दूसरे पेड़ की जब बारी आई तो उसने तीसरे पेड़ से कहा लगता है मेरी आवाज़ भी भगवान ने  सुन ली मेरे दोस्त. मेरा भी सपना पूरा होने का समय अब आ गया है. अलविदा दोस्त.
दूसरे पेड़ से एक छोटी सी नाव बनाई गई जो समुद्र में कुछ दूर तक जाती थी वहाँ से मछुआरे मछ्ली पकड़ कर नाव मे रख कर वापस बन्दरगाह पर ले आते थे. दिन भर मछ्ली की बदबू और गन्दगी से परेशान दूसरा पेड़ बहुत दुखी हो गया. पेड़ बहुत दुखी हुआ उसने हाथ उठा कर कहा कि हे ईश्वर मैनें आप से क्या माँगा था और आपने मुझे क्या दिया. मेरी आप ने एक ना सुनी.
तीसरे पेड़ का चुनाव कर जब उसे काटा जा रहा था तो वह बहुत दुखी हो गया उसने ईश्वर से मन ही मन कहा कि हे ईश्वर मैं तो तेरे करीब रहना चाहता था. मैं चाहता था मुझे कोई न काटे पर यह क्या....
इस पेड़ को क़ाट कर लकड़हारे ले गये और एक अन्धेरी कोठरी में बन्द कर दिये.

इन लोगों ने पेड़ बने फीडिंग स्टॉल को साफ किया और उसमें मुलायम घास बिछा दी. थोड़ी देर में इस स्त्री ने एक बहुत सुन्दर चाँद से शिशु को जन्म दिया.
जैसे ही इस बच्चे को इस फीडिंग स्टॉल बने पेड़ की गोद में लिटाया गया वह पेड़ में बिजली सी कौध गयी. एक तेज़ झंकार सी हुई. उसे लगा जैसे वह लम्बी गहरी नींद से जागा हो. जैसे ही वो कुछ सम्भला उसने हाथ उठा कर ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहा कि हे परवरदिगार मैंने तो यह चाहा था कि मुझे खजाने का बक्स बनाया जाय और मुझमें बेशकीमती हीरे-जवाहरात रखे जायें, पर आज जो नगीनों का नगीना मुझमें रखा है उससे ज़्यादा कीमती तो सृष्टि में कुछ भी नहीं. हे ईश्वर तू तो बड़ा दयालु है. मुझे नहीं मालूम नहीं था कि मेरी मन की मुराद तू इस प्रकार से पूरी करेगा. शुक्रिया भगवान शुक्रिया....
दूसरा पेड़ पर एक दिन कुछ लोग सफर करने के लिये सवार हुये और समुद्र में निकल पड़े, अचानक बहुत भयंकर तूफान ने उन्हें आ घेरा. पेड़ बने इस नाव ने यात्रियों को सुरक्षित रख्ने की जीतोड़ कोशिश की किंतु उसे लगा कि यह कार्य उसके बस का नहीं है, उसकी हिम्मत जवाब देने लगी....वह ज़ोर से डोलने लगी. इस नाव पर सवार यात्री भयभीत हो उठे उन्होंने, नाव पर ही सवार अपने गुरु से आग्रह किया के वे उन्हें बचायें. इन सवार यात्रियों के गुरु ने बड़े शाँत भाव से हाथ उठाया और समुद्र को दैवीय आदेश दिया और कहा शाँत .... और समूचा समुद्र शाँत हो गया.
नाव बना यह पेड़ पूरी घटना देख रहा था. अचानक उसमें बिजली सी कौध गयी. एक तेज़ झंकार सी हुई. उसे लगा जैसे वह लम्बी गहरी नींद से जागा हो. जैसे ही वो कुछ सम्भला उसने हाथ उठा कर ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहा कि हे परवरदिगार मैंने तो यह चाहा था कि मुझे पानी का जहाज़ बनाया जाय और मुझ पर् राजा, महाराजा, सम्राट और शहँशाह, सवार होँ पर आज तो शहँशाहों का शहँशाह मेरे ऊपर सवार है.  इस शहँशाह से बड़ा तो इस सृष्टि में कोई भी नहीं..... हे ईश्वर तू तो बड़ा दयालु है. मुझे नहीं मालूम नहीं था कि मेरी मन की मुराद तू इस प्रकार से पूरी करेगा. शुक्रिया भगवान शुक्रिया....
तीसरा पेड़ कई वर्षों तक उस अंधेरी कोठरी में पड़ा रहा. एक दिन उस कोठरी का दरवाज़ा खुला. इस पेड़ ने बड़ी मुश्किल से अपनी आँखें खोलीं और देखा के कृषकाय व्यक्ति अन्दर दाखिल हुया. उसके पूरे बदन में घाव थे और इन में से खून बह रहा था, वह बेहद शरीर से बेहद कमज़ोर दिख रहा था किंतु उसके चहरे पर बहुत शाँति थी, एक तेज़ था. वह प्रेम और करुणा का सागर लग रहा था. इस व्यक्ति ने इस भारी भरकम पेड़ को उठाया और चल दिया. कछ लोग उस पर कोड़े बरसा रहे थे तो कुछ लोग उस पर पत्थर फेंक रहे थे. यह व्यक्ति उस पेड़ को ले कर उसी पहाड़ पर पहुँचा जिसे देख कर उस पेड़ ने सोचा था कि उस पहाड़ से लोग मुझे देखेंगे और कहेंगे के देखो वह पेड़ ईश्वर के कितने करीब है.
इस पहाड़ पर ले जा कर इस पेड़ को काट कर क्रूस (क्रॉस) बनाया गया.इस व्यक्ति को काँटे काताज़ पहनाया गया और जैसे ही इस क्रूस पर जैसे ही इस व्यक्ति को चढ़ाया गया, अचानक क्रूस बने इस पेड़ में बिजली सी कौध गयी. एक तेज़ झंकार सी हुई. उसे लगा जैसे वह लम्बी गहरी नींद से जागा हो. जैसे ही वो कुछ सम्भला उसने हाथ उठा कर ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहा कि हे परवरदिगार मैंने तो यह चाहा था कि मुझे देख कर लोग कहें के यह पेड़ ईश्वर के कितने करीब है. हे भगवान समूची सृष्टि में आज मुझसे अधिक, तेरे करीब और कौन है और वह इतना खुश हुआ कि उसके आँसू बह निकले....... इस शहँशाह से बड़ा तो इस सृष्टि में कोई भी नहीं..... हे ईश्वर तू तो बड़ा दयालु है. मुझे नहीं मालूम नहीं था कि मेरी मन की मुराद तू इस प्रकार से पूरी करेगा. शुक्रिया परमपिता परमेश्वर शुक्रिया....
यह पूरी कहानी ईसा मसीह के जीवन से है.
इस कहानी को टाईम्स ऑफ इंडिया समाचार पत्र में उस समय हमने उस समय पढ़ा जब हमें एक नौकरी की बहुत ज़रूरत थी.
इस कहानी के अंत में लिखा था कि ईश्वर तुम्हारी प्रार्थना ज़रूर सुनता है लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि जिस तरह से तुम चाहते हो वह उसे उसी तरह से पूरा करे. प्रार्थना पूरी करने का ढँग उसका अपना होता है.
और इसके कुछ दिनों बाद ही आमदनी के नये रास्ते, करुणामई ईश्वर ने खोल दिये...
अवतार मेहेर बाबा की जय
क्रिसमस आप सभी को मुबारक हो.....   





11 comments:

  1. बहुत बढ़‍िया कहानी... दिल को छू लेने वाली..।

    सचमुच ऊपर वाले ने आपके लिए कैसी नियति सोच रखी है, यह तो वह ही जानता है। अभी से शिकायत कैसी?

    समय आने पर उम्‍मीद से दुगुना मिलेगा। मन रे धीर धरो...

    - आनंद

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  2. Where were you Anand Sir these days. Iwas waiting for you very eagerly....
    Merry Christmas To All of You,
    Love
    Aapka Hee
    Pinku

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  3. यहीं हूँ। बस दाल-रोटी-नून के चक्‍कर मे ऐसा उलझ गया कि नियमित नहीं रह पाया। बाकी सब ठीक है। मेरी ओर से क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ


    और अपने प्रोफ़ाइल में एकाध जगह अपना ईमेल पते का उल्‍लेख भी करो।

    - आनंद

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  4. Sir,
    Christmas Mubarak Aapko Bhee, Please tell me how can I put my email on the blog....Please tell how did you liked the articles on attitude.
    Regards
    Yours
    Pinku

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  5. Really full of knowledge n intersting. It provides patience and way to rise high in life.


    THANKS
    Dr R P Joshi

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Your welcome on this post...
Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher

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