खूब अच्छे से याद है, कचड़े में रहने वाले इन जीवों में से एक, इक बार निकल कर शहर आता है और लौट कर अपने दोस्तों को अपना अनुभव सुनाते हुए बताता है कि शहर में मनुष्य जब छाता खोलता है तो पानी बरसता है.
छाता खोलने के कारण पानी बरसता है या पानी बरसने पर छाता खोलते हैं इंसान की अपनी समझ भी किसी घटना या व्यक्ति के प्रति दृष्टिकोण तय करती है.
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Chandar Meher