
बायो- केमिस्ट्री की लम्बी श्रंखलाओं को याद करना कृषि में स्नातक करते समय कठिनतम कार्य लगता था. हॉस्टल के कॉमन टॉयलेट में बना बेन्ज़ीन रिंग अभी भी याद है. चर्चा के दौरान हमारे रूम पार्टनर पुनीत पालीवाल ने एक रहस्योद्घाटन करते हुए बताया की फ्रेश होते समय सबसे मुश्किल विषय भी चुटकियों में याद होते हैं.कुछ दिनों बाद, इंदौर में हमारे बड़े भाई ने टॉयलेट को विचार गृह की संघया दी। अपने बताया की ऐसे प्रश्नों का जवाब भी यहाँ बड़ी ही आसानी से मिल जाता है जो बाहर की हवा में आसानी से नही सुलझते.अब हमें समझा में आया है की क्यों बुजुर्ग, टॉयलेट में मैगजीन और समाचार पत्र पढने से मन करते हैं. धार्मिक कारणों के अलावा एक कारन यह भी है की जब पेट साफ़ हो रहा होता है उस समय ऑक्सीजन तेज़ी से दिमाग में प्रवेश करता है जिसकी वजह से दिमाग बड़ी तेज़ी से काम करना शुरू कर देता है और मुश्किल से मुश्किल सवाल भी ऐसे समय आसानी से हल हो जाते हैं. ऐसे समय दूसरों के विचार पढने से अच्छा है की हम अपने विचारों और समाधानों में मन लगायें.
वाह भाई क्या लिखते हैं आप मन प्रसन्ना हो गया है| कृपया ऐसे लेख और लिखते रहे.
ReplyDeleteकभी फुर्रसत मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आईएगा| मैने अभी -अभी ब्लॉग्गिंग शुरू की है इस कारण से मार्गदर्शन की ज़रूरत है|
http://think-thats-right.blogspot.com
http://youth-views.blogspot.com
link hai
ReplyDeletehttp://think-thats-right.blogspot.com
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