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Monday, August 19, 2024

मोक्ष या भक्ति

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यह प्रसंग श्री रामचरित मानस जी से है। कई वर्षों पहले मनु तथा सतरूपा ने ईश्वर प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की। किंतु, उन्हें ईश्वर दर्शन नहीं हो पाये। तपस्या जब गहरी, और गहरी होती चली जा रही थी उस समय आकाशवाणी हुई कि आप दोनों कई वर्षों के बाद जब त्रेता युग में अयोध्या नामक नगरी में महाराज दशरथ तथा माता कौशल्या के रूप में निवास करेंगे तब भगवान साक्षात् रूप में आपके घर जन्म लेंगे। 


अयोध्या नगरी में महाराजा दशरथ तथा माता कौशल्या के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में भगवान ने राम के रूप में जन्म लिया। किंतु महाराजा दशरथ को अपने पुत्र से मोह हो गया तथा वह उन्हें ईश्वर के रूप में पहचान नहीं पाये। 


कालांतर में जब भगवान राम, लंका जीत कर और सीता जी को लेकर अयोध्या वापस आये तब सभी देवी, देवता, अयोध्या नगरी के निवासी, तथा अन्य जीव  भगवान के दर्शन करने के लिये आये। इनके साथ भगवान राम के पिता महाराजा दशरथ जी भी सूक्ष्म रूप में भगवान राम के दर्शन करने के लिये आये।


भगवान राम ने अपने पिता को सूक्ष्म रूप में देख उन्हें भक्ति प्रदान की, तब जाकर महाराजा दशरथ ने अपने पुत्र राम में भगवत् रूप के दर्शन प्राप्त किये।


इसी प्रकार, एक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु, महर्षि नारद जी से बहुत प्रसन्न हुए उन्होंने महर्षि नारद जी से कहा कि आज मैं आपसे बहुत प्रसन्न हूँ, आप जो चाहे मुझसे माँग सकते हैं। किंतु, महर्षि नारद जी ने भगवान विष्णु से कुछ भी न माँगा। भगवान विष्णु ने महर्षि नारद जी से बार-बार  माँगने को कहा। किंतु, महर्षि नारद जी बार-बार मना करते रहे। तब, भगवान विष्णु ने कहा कि महर्षि नारद जी मेरे बार-बार आपसे माँगने को कहने के बाद भी जब आप कुछ नहीं माँग रहे हैं तो आज मैं आपको अपनी ओर से, सबसे अनमोल वस्तु देता हूँ, और वह है कैवल्य अर्थात मोक्ष। इतना सुनना था कि महर्षि नारद जी, भगवान विष्णु के चरणों में गिर पड़े और विनती करने लगे कि वह उन्हें मोक्ष बिल्कुल भी न दें, अन्यथा वे भगवान विष्णु की भक्ति कैसे कर पायेंगे।


द्वैत जगत में भक्ति के मार्ग से ईश्वर के साकार रूप के दर्शन महर्षि नारद निरंतर कर रहे थे और वह इस भक्ति को ही सर्वोपरि मानते थे। यहाँ तक की उन्होंने इस भक्ति के लिये मोक्ष को भी त्याग दिया।

पुनश्च: : इस कथा को पूर्ण तथा व्यवस्थित करने के लिये हमारे परम मित्र आदरणीय एम.के.मिश्रा जी जो बहुत-बहुत धन्यवाद।


आदरणीय सुधिजन,
सादर प्रियतम अवतार मेहेरबाबा की जय जय जिनेन्द्र सदा,

आपसे विनम्र आग्रह है कि कृपया लेख के बारे में अपने अमूल्य विचार और सुझाव कमेंट बॉक्स में अंकित कर प्रोत्साहित करने का कष्ट करें,

सादर जय प्रियतम अवतार मेहर बाबा जय जिनेंद्र सदा

🙏🏻🌈🌈😇😇🙏🏻

1 comment:

  1. आदरणीय सुधिजन,
    सादर प्रियतम अवतार मेहेरबाबा की जय जय जिनेन्द्र सदा,
    आपसे विनम्र आग्रह है कि कृपया लेख के बारे में अपने अमूल्य विचार और सुझाव कमेंट बॉक्स में अंकित कर प्रोत्साहित करने का कष्ट करें,


    सादर जय प्रियतम अवतार मेहर बाबा जय जिनेंद्र सदा

    🙏🏻🌈🌈😇😇🙏🏻

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