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Saturday, August 27, 2016

बिन माँगे मोती मिले ....

एक सभा में घमासान मचा हुआ था कोई भी सदस्य किसी अन्य को सुनने के तैयार ही नहीं था. बस सब अपनी अपनी सुनाने में जुटे थे. सभा कोई भी दिशा नहीं पकड़ पा रही थी. सभा की यह दशा देख कर सभापति बहुत ही परेशान हो उठे.
फिर उन्हें एक उपाय सूझा, उन्होंंने सभी सदस्यो को एक खेल खेलने के लिये राज़ी कर लिया. 
खेल की शुरुआत में सभी सदस्यों को एक –एक गुब्बारा दिया गया, सभापति के कहे अनुसार समस्त सदस्यों ने अपने-अपने गुब्बारे को फुला कर अपना-अपना नाम लिख दिया फिर बाजू वाले बड़े से कमरे में छोड़ कर आ गये.
खेल के दूसरे कदम में इन सदस्यो को फिर से इस कमरे में भेजा गया जहाँ से इन्हें अपने नाम वाले गुब्बारे को 5 मिनट के भीतर ले कर वापस सभाकक्ष में आना था. किंतु सभी सदस्य इस कार्य में विफल हो गये.
खेल के तीसरे कदम में सदस्यों को नये गुब्बारे दिये गये जिन्हें फुला कर एक बार फिर से इन सदस्यों ने अपना-अपना नाम लिखा और बाजू वाले बड़े कमरे में रखा. खेले को आगे बढ़ाते हुये और सभापति के आदेश को मानते हुये, सभी सदस्य एक बार फिर से उस कमरे में गये जहाँ 5 मिनट के भीतर जो भी गुब्बारा उन्हें मिलता उसे उठा कर सही सदस्य को दे कर वापस सभा कक्ष में लौटना था. अगले 3 मिनटों में ही सभी सदस्य सभाकक्ष में लौट कर आ गये. सभी के हाथ में सही गुब्बारा था.
सभापति ने सदस्यों से पूछा कि इस खेल से उन्होंने क्या सीखा ? सभी सदस्य चुप थे. तब सभापति बोले, प्रथम बार, जब आप को अपना नाम लिखा गुब्बारा लाना था तब बड़े कक्ष में जा कर आपने छीना-झपटी की, अपना गुब्बारा माँगा और वह नहीं मिला तो छीनने का प्रयास किया, बहुत प्रयास किया, पसीना बहाया, कुछ लोगों के कपड़े भी फटे किंतु सही गुब्बारा हाथ न आया, कार्य में विफलता मिली.
वहीं दूसरी बार जब 5 मिनट में सही व्यक्ति को ढूँढ कर उसका गुब्बारा उसे सौंपना था तो 3 मिनट में ही आपने सही व्यक्ति को ढूँढ कर गुब्बारा दे दिया और इस कार्य को पूर्ण करने में सफलता हासिल की, दोनों पक्षों को खुशी मिली, संतोष मिला और वह इसलिये क्योंकि इस बार आप सब ने अपने साथी को कुछ दिया न कि माँगा.  
इस के बाद सभा अपने आप सही दिशा में चली और सभा ने अपना कार्य पूरा किया.
1.  अधिक माँग हो किंतु आपूति कम हो = सम्मान, स्वीकार्यता और प्रसन्नता.
2.  माँग कम हो किंतु आपूर्ति अधिक हो = निरादर, अस्वीकार्यता एवं असम्मान.
3.  माँग के अनुसार आपूर्ति = प्रेम, आनन्द और संतोष. 
इसी लिये तो कहा गया है- बिन माँगे मोती मिले ....... :)     



3 comments:

  1. Bahut hi sundar post hai maza aa gaya
    check Model Question paper

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  2. उत्साहवर्धन के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबको, जय बाबा 💐💐

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Your welcome on this post...
Jai Baba to You
Yours Sincerely
Chandar Meher

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